Thursday, April 30, 2009


सिर्फ इक पल का बहाना चाहिये
कौन कहेता है जमाना चाहिये ?
आग पानीमे लगानी चाहिये
दुश्मनो को घर बुलाना चाहिये

रात सारी जागना भी है कुबुल
हाथमे एक चांद आना चाहिये

इश्तहार आया है इक अखबारमें
आदमी सबसे दीवाना चाहिये

गम ठहांके मारके हसने लगे
जोर से मूस्कुराना चाहिये

जेब मे होगी ये दुनिया एक दिन
'पागल'अपना वकत आना चाहिये
अल्पेश 'पागल'

1 comment:

વિવેક said...

Nice blog but why it has not been updated?