Saturday, December 10, 2011

करेगा क्या पता इसका कहा होता है यारो....
ये दिल बच्चो सा ही बे-साख्तां होता है यारो..

कभी यादो की चिंगारी से टकराती है सांसे
तभी इस खून मे कुछ-कुछ नया होता है यारो.

मछलिया ख्वाब की आंसू के मोती, छीप सुख-दु:ख
इन्ही आंखो मे दरिया भी छुपा होता है यारो....

यकी मानो नही है आग इतनी भी जरूरी ,
कभी अहसास मे यूं ही धुंआ होता है यारो....

सजा तो खैर आंखो को मिली, सपने गंवाकर
गुनह रातो का उससे भी बडा होता है यारो....

मुझे ये मान लेने मे बडी दिक्कत हुवी है
यकीनन दर्द ही दिल की दवा होता है यारो...

ऐ जब भी सोचता हूं की मिटा दूं उसकी यादे
मेरा दिल है की मुझसे ही जुदा होता है यारो...

मै हूं ‘पागल’ सभी ये सोचकर मिलते है मुझसे
किसी के सोच लेने से ही क्या होता है यारो...?


1 comment:

Unknown said...

बहुत ख़ूब !